भारत के नए गर्भपात कानून के बारे में जानना क्यों जरूरी है? हम सुरक्षित गर्भपात के बारे में बात करते हैं

Author: How to Use Abortion Pill

गर्भपात क�ानून

लेखिका: म्रिणालिनी दयाल

मार्च २०२१ में भारत ने गर्भपात कानून ( मेडिकल टर्मिनल आफ प्रेगनेंसी) संबंधित एक संशोधन पारित किया है | जहां क‌ई चिकित्सक कार्यकर्ता दशकों से इस संशोधन को बनाए जाने के लिए जोर दे रहे थे , वहीं बहुतों ने इसका स्वागत किया हैं | क्योंकि यह संशोधन गर्भपात को आसान बनाता हैं , और नियम संबंधित बातों को स्पष्ट करता है | हालांकि भारत में अभी भी कन्या भ्रूण हत्या के अधिकार पर काम किया जाना बाकी है । यह लेख संशोधन के इतिहास, किए ग‌ए नये परिवर्तनों और गर्भपात की इच्छा रखने वालों के लिए क्या है इसके बारे में हैं।

कानून का संक्षिप्त इतिहास:

एक औपनिवेशिक राज्य के रूप में ब्रिटिश से यह कानून व्यवस्था भारत को विरासत मिली है , दंड संहिता के तहत जिसमें गर्भपात को गैर कानूनी बताया गया है । सन 1971 में एमटीपी (MPT) अधिनियम का गठन किया गया था ,‌जिसमें गर्भपात को कुछ शर्तों के साथ कानूनी बनाया गया । दूसरे देशों से उलट यह कानून महिलाओं के लिए ना होकर सिर्फ सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण को ध्यान में रखकर बनाया गया था। इसके नियमों से यह साफ समझा जा सकता हैं कि यह एमटीपी अधिनियम महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित ना होकर सिर्फ कुछ परिस्थितियो मे गर्भपात का अधिकार देता है ।

मूल अधीनियम क्या था:

1971 के MPT अधीनियम के अनुसार महिलाओ को कुछ विशेष परिस्थितियो मे ही गर्भपात कराने की अनुमति थी जैसे :

  • विवाहित महिलाओ को गर्भनिरोधक के असफल होने पर
  • बलात्कार या अनाचार होने पर
  • यदि गर्भावस्था से महिला को किसी प्रकार कि स्वास्थ्य हानी हो सकती है तो
  • मानसिक तनाव या अभिघात कि स्थिती में
  • भ्रूण के असामान्य होने पर

कानून की स्पष्ट शर्ते:

  • 12 सप्ताह तक महिला को गर्भपात कराने के लिये किसी भी पंजीक्रत चिकित्सक (RMP) की अनुमती की आवश्यकता होगी ।
  • 12 और 20 सप्ताह के बीच उन्हे 2 आर एम पी की अनुमती की आवश्यकता होगी ।
  • 20 सप्ताह हो जाने के बाद गर्भपात की अनुमति पाने के लिये उन्हे न्यायालय मे याचिका दायर करनी होगी ।

नये परिवर्तन जिनके बारे मे आपको जानना चाहिये 

  • अकेली महिलाओं के लिये अधिक संयुक्त भाषा का प्रयोग – पति और विवाहिता जैसे शब्दों को साथी और महिला से बदला गया। जिससे कि अकेली महिलाओं को बहुत राहत मिली, जो कि पुराने कानून मे नहीं थी। याद रखें कि अगर आपकी उम्र 18 साल से अधिक है तो आपको गर्भपात करने के लिये किसी की भी सहमती की आवश्यकता नहीं है।
  • गर्भावधी कि सीमा बढाई गई – यह आपको गर्भवस्था के चलते गर्भपात कराने की अनुमती देता है , जिससे आपको गर्भावस्था के दौरान गर्भपात कराने का निर्णय लेने के लिये पर्याप्त समय मिल सकेगा। जानें अपनी गर्भावधि को‌‌‌
    • 20 सप्ताह तक का गर्भपात कराने के लिये महिला को एक पंजीक्रत चिकित्सक कि अनुमति कि आवश्यकता होगी ।
    • 20 से 24 सप्ताह के बीच उन्हे दो आर एम पी की अनुमति कि आवश्यकता होगी ।
    • 24 सप्ताह के बाद महिला को मेडीकल बोर्ड की अनुमती कि आवश्यकता होगी ।

  • आपकी गोपनियता की सुरक्षा – इस नये नियम के अनुसार यदि महिला गर्भपात कराने कि अनुमति चाहती है, तो उसकी निजी जानकारी को किसी भी प्रकार से उजागर नहीं किया जायेगा । यह नियम महिला कि सामजिक प्रतिष्ठा को रूढीवादी सामाजिक मान्यताओ से बचानें में मददगार साबित होगा।

वैसे भारत के सभी कानून न्यायिक है, फिर भी हम स्वागत करते हैं इस कानून में किये गये बदलावों का जो कि गर्भपात कराने वालों को समर्थन और सशक्त करेगा ।

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  • https://www.thequint.com/neon/gender/medical-termination-of-pregnancy-abortion-rights-explainer#read-more
  • https://indianexpress.com/article/opinion/columns/medical-termination-of-pregnancy-bill-passed-7241943/
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